Mahadev and Lord Vishnu: बस होने वाला था पृथ्वी का अंत, महादेव और भगवान विष्णु के बीच हुआ था भीषण युद्ध

Mahadev and Lord Vishnu: ब्रह्मांड अनंत है, इस अनंत ब्रह्मांड के रचयिता भगवान शिव शंकर और विष्णु, ब्रह्मा जी है। त्रिदेव ही इस दुनिया को चलाते है, एक समय ऐसा भी आया जब देवों के देव महादेव और भगवान विष्णु के बीच युद्ध हुआ था। दो सबसे बड़े देव के बीच यह युद्ध की स्तिथि कैसे पैदा हुई और इसके परिणाम क्या हुए। Mahadev and Lord Vishnu

लेखक: रंजीत शर्मा

भोलेनाथ की महिमा सबसे निराली है उनकी हर महिमा का बखान काफी अच्छे से किया गया है। हिन्दू धर्म में त्रिदेव सबसे बड़े देव माने जाते है। जिसमें सबसे बड़े महादेव है। महादेव और हरि एक ही है। ऐसा भी पुराणों में लिखा है। एक समय ऐसा भी आया जब भगवान विष्णु और महादेव के बीच युद्ध हुआ।

Mahadev and Lord Vishnu


बहुत से टीवी सीरियल्स में ऐसा दिखाया गया है, कि एक समय ऐसा भी आया था जब महादेव और भगवान विष्णु के बीच युद्ध हुआ था। आप लोग सोच रहे होंगे ऐसा कैसे हो सकता है। महादेव तो भोलेनाथ है फिर भगवान विष्णु और महादेव के बीच युद्ध कैसे हो सकता है आइए जानते है

इस कारण हुआ युद्ध

पूरी कथा: लाइफ ओके के सबसे बड़े शो और बहुत से शो के साथ हम पुराणों के अनुसार बात करें तो, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत के लिए मंथन हो रहा था, और महादेव ने जब विश ग्रहण किया था, उसके पश्चात समुद्र मंथन से 7 प्रकार की वस्तुएँ निकली, जिसमें कामधेनु  गाय के साथ माता लक्ष्मी भी बाहर आई। उसी समय 7 और अप्सराएँ मंथन से निकली।

माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ विष्णुलोक चली गई। पर मन ही मन उन 7 अपसायाओं ने भी भगवान विष्णु को पति मान लिया। और वे पाताललोक में रहकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने लगी। उन्हें सिर्फ भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में पाना था, जो संभव नही था। एक बार उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और उनसे वरदान मांगने को कहा।

वरदान स्वरूप उन्होंने भगवान विष्णु से मांगा की, “आप अपनी समस्त स्मृतियों को भुलाकर साधारण रूप में हमारे साथ पाताललोक में रहें। भगवान विष्णु ने उन्हे तथास्तु कहकर अपनी समस्त स्मृतियों को तब तक के लिए भुला दिया। जब तक वह अपने वचन से मुक्त ना करें। भगवान विष्णु को अब कुछ भी याद नहीं था।

जगत, के पालनहरता के सब कुछ भूल जाने के बाद ब्रह्मांड में उथल-पुथल होने लगी। फिर ब्रह्मा जी ने महादेव से इस समस्या का समाधान करने को कहा। महादेव ने कहा पृथ्वी के हिट को देखते हुए मुझे ये करना ही होगा। इतना कहते ही शिवशंकर पाताललोक में वृषभ रूप में जाकर युद्ध करने लगे, भगवान विष्णु को सूचना मिलती है, कोई वृषभ आकार आपको युद्ध के लिए कह रहा है।

इतना, कहते ही भगवान विष्णु क्रोधित हो गए क्योंकि आओनी समस्त स्मृतियाँ भूल चुके थे इसलिए उन्हे ये ज्ञात नही था की वह है कौन। और वे किस्से युद्ध कर रहे है। कई सालों तक यह युद्ध चला। भोलेनाथ उनकी स्मृतियों को वापस लाना चाहते थे। इस युद्ध से पृथ्वी अपने अंत तक या पहुंची। दोनों ही एक ही शक्ति थे इसलिए युद्ध का अंत होना असंभव था। इतने सालों तक युद्ध करने के बाद अपसायाओं को एहसास हुआ उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है।

फिर वह, अप्सराओं ने भगवान शिव से भगवान विष्णु को उनके वचन से मुक्त करने की प्रार्थना थी, इतना कहते ही श्रीहरि को उनकी समस्त स्मृतियां याद आ जाती है। वह अपना वास्तविक रूप धारण कर लेते है, और उन्हें सम्पूर्ण घटनाक्रम ज्ञात हो जाता है। और महादेव को पहचान लेते है। फिर भगवान विष्णु महादेव से अपने लोक जाने की आज्ञा मांगते है।

भगवान शिव कहते है, नारायण आप कुछ भूल रहे है। नारायण को आपण सुदर्शन चक्र याद आता है। ओ स्मृति भूलने वाली जगह पर छूट गया था। महादेव कहते है नारायण मैं आपको एक नया सुदर्शन चक्र देता हूँ। आपका पहला सुदर्शन चक्र पाताललोक में रहकर धर्म की स्थापना करेगा।

भगवान शिव और नारायण के बीच हुए इस युद्ध से पूरे ब्रह्मांड अस्त-व्यस्त हो गया। जिसके बाद भगवान महादेव फिर से जीवन पहले जैसा कर देते है।

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